भारत में नागरिकता संशोधन कानून लागू सरकार ने जारी किया आदेश।
naagarikata sanshodhan kaanoon laagoo दिल्ली से इस वक्त की बड़ी खबर आई है। केंद्र सरकार ने सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट यानी CAA का आदेश जारी कर दिया है। इसके साथ ही यह संशोधित कानून देशभर में आज से लागू कर दिया गया है। CAA को हिंदी में नागरिकता संशोधन कानून कहा जाता है। इससे पाकिस्तान, बांग्लादेश अफगानिस्तान से आए गैर- मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हो गया है। इसके तहत किसी अन्य देशों से आये नागरिकों को भारत की नागरिकता देने का कानुन लागू किया है मोदी सरकार ने जिसमें हर एक को भारत की नागरिकता दि जाएगी।
naagarikata sanshodhan kaanoon laagoo (CAA) नागरिकता संशोधन कानून की 3 बड़ी बातें
1. किसे मिलेगी नागरिकता – 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से धार्मिक आधार पर प्रताड़ित होकर भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को नागरिकता दी जाएगी। इन तीन देशों के लोग ही नागरिकता के लिए आवेदन कर सकेंगे। आवेदन करने वाले नागरिकों को भारत की नागरिकता दि जाएगी। तथा इससे पहले पाकिस्तान व बाग्लादेश से आए लोगों को नागरिकता नहीं दी जाती थी। आज से इन तिन देशों के नागरिकों को भारत कि नागरिकता दि जाएगी।
2. इस कानून से भारतीय नागरिकों पर क्या प्रभाव पड़ेगा – भारतीय नागरिकों से CAA का कोई सरोकार नहीं है।इस संविधान के तहत भारतीयों को नागरिकता का अधिकार है। CAA या कोई कानून इसे नहीं छीन सकता।
3. CAA में आवेदन कैसे कर सकेंगे – इस कानून में आवेदन ऑनलाइन करना होगा। आवेदक को बताना होगा कि वे भारत कब आए।तथा उनकी पासपोर्ट या अन्य यात्रा टिकट व दस्तावेज न होने पर भी आवेदन कर पाएंगे। इसके तहत भारत में रहने की अवधि 5 साल से अधिक रखी गई है।यानि बाहर से लोगों को भारत में रहते 5 साल होना आवश्यक है। जिससे आपको देश की नागरिकता दि जाएगी। तथा यह विदेशियों (मुस्लिम) के लिए यह अवधि 11 साल से अधिक रखीं गई है।
क्या है संशोधन कानून CAA नागरिकता।
- भारतीय नागरिकता कानून 1955 में बदलाव करने के लिए 2016 में नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) संसद में पेश किया गया था।
- जिसमें यह लोकसभा में 10 दिसंबर 2019 और अगले दिन राज्यसभा में पास हुआ। 12 दिसंबर को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही CAA कानून बना।
- भारतीय नागरिकता कानून देश में 1955 से अब तक 6 बार (1986, 1992, 2003, 2005, 2015, 2019) संशोधन किया गया है।
- पहले भारतीय नागरिकता लेने के लिए भारत में 11 साल रहना जरूरी था। बल्कि अब इसे घटाकर 6 साल कर दिया है।
- नागरिकता संशोधन विधेयक का पूर्वोत्तर राज्यों खासकर बांग्लादेशी सीमा से सटे असम-पश्चिम बंगाल में विरोध हुआ था।
- असम के लोगों का मानना था कि बांग्लादेश से बड़ी तादाद में आए हिंदुओं को नागरिकता देने से यहां के मूल निवासियों के अधिकार खत्म होंगे।
- केंद्र सरकार असम में नेशनल सिटीजन रजिस्टर (NRC) भी लाई थी, जिसका मकसद यहां रह रहे घुसपैठियों की पहचान करना था।
CAA को लेकर सरकार की क्या तैयारी है।
इस नये कानून CAA को लेकर सरकार ने CAA के लिए आवेदन ऑनलाइन पोर्टल को रजिस्ट्रेशन के लिए तैयार कर लिया गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसका ड्राई रन भी कर लिया है। यह कानून उनके लिए लागू किया जाएगा।CAA इन पड़ोसी देशों के उन शरणार्थियों की मदद करेगा जिनके पास दस्तावेज नहीं हैं। मंत्रालय को लंबी अवधि के वीजा नहीं है तथा सबसे ज्यादा आवेदन पाकिस्तान से मिले हैं।
naagarikata sanshodhan kaanoon laagoo (नागरिकता संशोधन कानून लागू)
भारत के गृह मंत्री अमित शाह दो महीने में दो बार सांसद मे कहा था कि CAA लोकसभा चुनाव से पहले लागू किया जाएगा। यह देश का कानून है। इसे कोई रोक नहीं सकता। संसद ने CAA पर 11 दिसंबर 2019 को मुहर लगाई थी। हालांकि, सरकार इस कानून को लागू करने के लिए नियम-कायदे बनाने की समय सीमा 8 बार बढ़ा चुकी है।जिसके बाद इस कानून को आज सफलता मिली है। तथा इस कानुन को पुरे देश में लागु कर दिया गया है।
देश में CAA कानून की क्यों जरूरत पड़ी
इसमें भारत के पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने बताया CAA कानून की आवश्यकता इसलिए है क्योंकि हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन और ईसाई अल्पसंख्यक जो दशकों से भारत में आए और देश में बस गए। इसकलिए वो भारतीय नागरिकता के कई लाभों से वंचित थे। संशोधन के बाद उन्हें अनिश्चित जीवन नहीं जीना पडे़गा। तथा हर एक को भारत की नागरिकता दि जाएगी।